BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

मंगलवार, 18 जून 2013

रोया अम्बर



रोया अम्बर 
आंसुओं ने डुबोया 
पूरा शहर  | 

चलो तैराए 
चाहतो की तरणी 
स्वप्न सिन्धु में  | 

प्यासी है धरा 
आये न आज फिर 
कारे  बदरा  | 

घिरे बादल 
दे कर आश्वासन 
हुए ओझल  | 

आया सैलाब
बादल  फटा  है  या -
दिल किसी का |

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