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बुधवार, 28 अगस्त 2013

पायल रूठी


पायल रूठी 
बैठी जमुना तट 
बाट जोहती 
आवन कही गयी 
बांसुरी झूटी 
अबहूँ नही आयी 
हुयी गोधुलि 
कदंब के हिंडोले 
कालिंदी तट 
चिढाये रहे मोहे 
बैरन बंसी 
बिसुर गयी मोहे 
रचाये रास 
मगन गोपी संग 
मैं जलूँ  विरहाग्नि
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नाचे मयूर
सजे कान्हा मुकुट
है बड़े भाग
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मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो पर आधारित एक चोका 

माखन चोर
करत तकरार
बालक निको
मटकी भयि ऊँची
बहियाँ छोटी
 माखन कैसे खाऊं
भोर प्रहर
गैयाँ संग भटकूँ
घर फिरयो
संध्या समय तब
बैरी है ग्वाले
 करके बरजोरी
मोरे मुखरे
माखन लपटायो
सुन बतिया
हर्षित महतारी
लेती बलैया
नटवर नागर
चूम हिये लगायो



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