BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

शुक्रवार, 1 नवंबर 2013

जल उठे दीपक




तुम  जो आये
जल उठे दीपक
मावस रात


जलाया  मैंने

एक प्रीत का दीप

सम्हालो तुम


अंततः हारा
एक नन्हे दीप से
तम  बेचारा

बनाये दिये
जग रोशन करे
तम में जीये



कच्चे दीपक
पका रहा कुम्हार
देंगे प्रकाश


देहरी पर 
सजा प्रेम दीपक 
पुकारे तुम्हे

देहरी पर
एक दीप जलाऊ
साँझ प्रहर
जुझारू योद्धा -
 चौखट पर  अड़ा 
                                नन्हा सा  दीया 



खुश है पापा
पप्पू पास हो गया
लक्ष्मी की कृपा

फोड़ो भी अब
प्रेम सद्भाव बम
घृणा मिटाओ

मिटा ना पाई
राग द्वेष के धब्बे
करी पुताई

बुझे नयन 
दीपोत्सव मनाते 
रोशनी देख


दीपदान हो 

कही फैले रोशनी 
नेत्रदान हो 

जली लड़ियाँ
हसी फुलझड़ियाँ
मनी दीवाली




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