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शुक्रवार, 16 मई 2014

कविता के सात रंग .-- आकाशवाणी भवन में मेरा प्रस्तुतीकरण


कविता के सात रंग .-- आकाशवाणी भवन में मेरा प्रस्तुतीकरण
साथ  ही वह पढ़े गए कुछ नए हैकुज़ ..हार्दिक आभार आदरणीय +Dr.jagdish vyom सर जी का जिन्होंने मुझे आकाशवाणी में हाइकू पाठ  का मौका दिया | आपसदा ही मेरे लिए प्रेरणा श्रोत रहें है  आपके आशीर्वाद और मार्गदर्शन की सदा आकांक्षी रहती हूँ |





बांटे सुगंध 
फूलों से लूट कर
विद्रोही हवा


धीर पर्वत कभी चंचल नदी नारी का चित्त
पर्वत गोदी बाबुल का आँगन खेलती नदी चीर के बढ़ी रूढ़ियों का पर्वत घायल नदी
 जलाती  रिश्ते
शक कि सिगरेट
बचती राख

व्यर्थ न जीती
सुखी हुयी नदिया
रेत बांटती

आई थी बाढ़
काश बहा ले जाती
मन की व्यथा

कोई न सगा
साये भी देते दगा
दिन ढलते

वर्षा ने छुआ
झुर्री  भरी  दिवार
सिसक उठी

बूढी हड्डीयां
सहलाने आ गयी
जाड़े की धूप

मृत जो हुयी
संवेदनाएं मेरी
मैं जीती गयी 

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