BLOG DESIGNED BYअरुन शर्मा 'अनन्त'

शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

शीत की भोर




1)
घुप्प अँधेरा
जुगनू ने उठाया
भोर का बीड़ा |
2)
चारो प्रहर
चुभती तेरी यादे
शीत कहर|
3)
नभ में दौड़े
बन ठन बादल
आवारा छोरे|
4)
शीत की भोर
खलिहानों में उगे
मोती ओस के|
5)
धुंध फसल
सींचती ओस कण
बोये शीत ने |


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें